ना वक्त इतना हैं कि
August 10 2015
Written By
Gurjar Upendra
ना वक्त इतना हैं कि सिलेबस पूरा किया जाए;
ना तरकीब कोई की एग्जाम पास किया जाए;
ना जाने कौन सा दर्द दिया है इस पढ़ाई ने;
ना रोया जाय और ना सोया जाए।
मेरी वफाएं सभी लोग जानते हैं;
उसकी जफ़ाएं सभी लोग जानते हैं;
वो ही ना समझ पाए मेरी शायरी;
दिल की सदाएं सभी लोग जानते है।
तन्हा रहना तो सीख लिया हमने,
लेकिन खुश कभी ना रह पाएंगे,
तेरी दूरी तो फिर भी सह लेता ये दिल,
लेकिन तेरी मोहब्बत के बिना ना जी पाएंगे.
उम्र की राह में जज्बात बदल जाते है।
वक़्त की आंधी में हालात बदल जाते है
सोचता हूं काम कर-कर के रिकॉर्ड तोड़ दूं।
कमबख्त सैलेरी देख के ख्यालात बदल जाते हैं
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